ISRO का आधुनिक मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS हुआ सफलतापूर्वक लॉन्च, 10 साल तक देगा मौसम की सटीक जानकारी

INSAT-3DS, ISRO का मौसम सैटेलाइट है। इसे 17 February, 20224 को शाम 5.30 बजे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। INSAT-3DS, भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह का मिशन है। यह जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल F14 के जरिए लॉन्च किया गया

क्या है INSAT-3DS Misson?

INSAT-3DS भूस्थैतिक कक्षा के तीसरी पीढ़ी का मौसम उपग्रह है जिसे भूमि और महासागर सतहों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।

इसका मुख्य मिशन मौसम की निगरानी, भविष्यवाणी, और आपदा चेतावनी है। GSLV के 16वें मिशन में, INSAT-3DS को जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया जाएगा और फिर यह सुनिश्चित करेगा कि यह भू-स्टेशनरी कक्षा में स्थापित हो।

इस उपग्रह का उद्देश्य मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए भूमि और समुद्र सतह की बेहतर मौसम निगरानी और निरीक्षण को सुनिश्चित करना है। इससे इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ मौसम सेवाओं में वृद्धि होगी।

क्या- क्या काम करेगा INSAT-3DS ?

धरती की सतह, समुद्र, और पर्यावरण को विभिन्न स्पेक्ट्रल वेवलेंथ के माध्यम से मानित करना

वायुमंडल के विभिन्न मौसमी पैरामीटर्स का उच्चतम स्थानिक और ऊचाई पर विस्तारित प्रोफ़ाइल प्रदान करना

और विभिन्न स्थानों से डेटा संग्रहित करके इसे वैज्ञानिकों को पहुंचाना

राहत और बचाव कार्यों के दौरान सहायक बनने के लिए।

INSAT Series क्या है ?

इनसैट-3 सीरीज़ के सैटेलाइट्स में छह विभिन्न प्रकार के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स शामिल हैं, और सातवां सैटेलाइट का लॉन्च कल होने वाला है। इस सीरीज के पहले सैटेलाइट्स को साल 2000 से 2004 के बीच लॉन्च किया गया था, जिससे संचार, टीवी ब्रॉडकास्ट, और मौसम संबंधी जानकारियां प्राप्त हो रही थीं। इन सैटेलाइट्स में 3E, 3D, और 3D Prime सैटेलाइट्स में मौसम संबंधी आधुनिक यंत्र स्थापित हैं।

विदेशी एजेंसियों पर निर्भरता

INSAT-3DR से मौसम की सटीक भविष्यवाणी में मदद हो रही है। यह सैटेलाइट पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर हर 26 मिनट में तस्वीरें कैप्चर करता है। इसके अलावा, यह रेडिएशन, समुद्री सतह का तापमान, बर्फ की सतह, और कोहरे की जानकारी प्रदान करता है। सैटेलाइट जमीन से 70 किमी तक ऊंचाई तक टेम्परेचर नाप लेता है। इसने भारत के मौसम विभाग को विदेशी एजेंसियों पर अधीन नहीं होने का फायदा दिया है और मौसम की बेहतर जानकारी प्रदान करने में मदद की है।

क्यों बोला जा रहा है नॉटी बॉय ?

ISRO के अनुसार, GSLV रॉकेट से यह 16वां मिशन है। पहले से 15 मिशनों को पूरा किया गया है, जिनमें से केवल चार मिशन असफल रहे हैं। GSLV रॉकेट की सफलता दर को देखते हुए, इसे “नॉटी बॉय” नामक दिया गया है।

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